उस के कूचे में दिल को खो बैठे ज़ीस्त से ना-उमीद हो बैठे तेरे दर पर फ़क़ीर हो बैठे दीन-ओ-दुनिया से हाथ धो बैठे अभी उट्ठो न दर्द-ए-दिल मेरा कोई दम और भी सुनो बैठे मुझ को समझाओ मत अज़ीज़ो इक आन पास मेरे उसे कहो बैठे उठ गई दिल से आरज़ू-ए-बहिश्त उस के कूचे में जा के जो बैठे दिल को समझाऊँ सौ तरह मुझ पास एक दम भी जो आ के वो बैठे जूँ लगा कहने दर्द-ए-दिल बोला बैठना है तो चुप रहो बैठे जब से आशिक़ हुआ तू ऐ 'अफ़सोस' तब से हम तो तुझी को रो बैठे