उस को हुआ है प्यार का आज़ार किस तरह नर्गिस चमन में हो गई बीमार किस तरह दिल पर करम करे निगह-ए-यार किस तरह बीमार से हो पुर्सिश-ए-बीमार किस तरह आँखें हैं कोर जल्वा-ए-जानाँ नज़ारा-सोज़ निकलेगी दिल से हसरत-ए-दीदार किस तरह मरना था सहल पास-ए-वफ़ा से न मर सका इतनी सी बात हो गई दुश्वार किस तरह दिल में बँधा तसव्वुर-ए-ज़ुल्फ़-ए-दराज़-ए-यार ज़ंजीर हो गई है गिरफ़्तार किस तरह ऐ आह-ए-गर्म तेरी तो शोख़ी नहीं है ये कुम्हला गए हैं फूल से रुख़्सार किस तरह इतना कोई ख़ुदा के लिए आ के देख ले दम तोड़ता है 'मुज़्तर'-ए-बीमार किस तरह