वहशत-ए-दस्त-ओ-गरेबाँ न तुझे है न मुझे जुर्रत-ए-दश्त-ओ-बयाबाँ न तुझे है न मुझे दिल के कहने से अबस उस की तमन्ना की थी हसरत-ए-रंग-ए-बहाराँ न तुझे है न मुझे छोड़ आए तिरी ख़ातिर क़फ़स-ए-आफ़िय्यत रास अब सेहन-ए-गुलिस्ताँ न तुझे है न मुझे अपनी ही आग में जलने की क़सम खाई है ख़्वाहिश-ए-शम्-ए-फ़रोज़ाँ न तुझे है न मुझे याद आई तो फ़क़त चाँद का चेहरा देखा ताब-ए-नूर-ए-रुख़-ए-ताबाँ न तुझे है न मुझे कुछ न कुछ उस ने रह-ओ-रस्म निभाई होगी बे-सबब शिकवा-ए-'सुल्तान' न तुझे है न मुझे