वक़्त के पास कहाँ सारे हवाले होंगे ज़ेब-ए-क़िर्तास फ़क़त यास के हाले होंगे खोजता क्या है अँधेरों में तफ़ाहुम के दिए आ चराग़ों में लहू डाल उजाले होंगे दश्त में जा के ज़रा देख तो आए कोई ज़र्रे ज़र्रे ने मिरे अश्क सँभाले होंगे यूँ तो मक़्दूर नहीं तुझ को तिरी क़िस्मत पर हाँ मगर तू ने कई सिक्के उछाले होंगे हम थे ख़ुश्बू के ख़रीदार मगर क्या मा'लूम सुर्ख़ फूलों ने यहाँ साँप भी पाले होंगे