वक़्त मुश्किल है अता कर दो ज़रा थोड़ी सी बा'द में देना जो देनी हो सज़ा थोड़ी सी बस इक उम्मीद पे चलते रहे हम साथ उस के शायद उस शख़्स में बाक़ी हो वफ़ा थोड़ी सी हब्स-ए-जाँ काबिल-ए-बरदाश्त नहीं रब्ब-ए-करीम खोल दे सीना चला इस में हवा थोड़ी सी यूँ तो इक उम्र गुज़ारी है इबादत में 'अदील' जा के मस्जिद में भी कर लेंगे अदा थोड़ी सी