वक़्त-ए-आख़िर जो बालीं पर आजाइयो याद रखियो बहुत नेकियाँ पाइयो मेरे लाएक़ जो हो मुझ को बतलाइयो जान हाज़िर है कुछ और फ़रमाइयो एक डर मुझ को अर्ज़-ए-तमन्ना में है तुम पसीने पसीने न हो जाइयो हम दुआ अम्न की माँगते हैं मगर आप भी अपनी पायल को समझाईयो हम को भी कुछ लकीरों की पहचान है आप अपनी हथेली इधर लाइयो हाल-ए-दिल हम सुनाते हैं हँसते हो तुम हम नहीं बोलते तुम से अब जाइयो मीर के रंग में लिख के ग़ज़लें 'अलीम' धीरे धीरे न तुम मीर बन जाइयो