वस्ल की शब में भी हम बाहम दिगर रोया किए मैं जुदाई से वो मेरे हाल पर रोया किए उस ने ज़ानू ग़ैर का अपने रखा जब ज़ेर-ए-सर अपने ज़ानू पर हम अपना रख के सर रोया किए उस ने आँसू ग़ैर के पोंछे जब अपने हाथ से हम-नशीं ये माजरा हम देख कर रोया किए हो गया मुश्किल मिरी मिज़्गाँ से मिज़्गाँ का मिलाप हाइल इक दरिया हुआ हम इस क़दर रोया किए सुर्ख़-रू बे-आबरूई में भी हम 'सनअ'त' रहे ख़ुश्क जब आँसू हुए लख़्त-ए-जिगर रोया किए