वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है मैं कुछ कहूँ तो तराज़ू निकाल लेता है वो फूल तोड़े हमें कोई ए'तिराज़ नहीं मगर वो तोड़ के ख़ुशबू निकाल लेता है मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ तू झूट बोल के आँसू निकाल लेता है अँधेरे चीर के जुगनू निकालने का हुनर बहुत कठिन है मगर तू निकाल लेता है वो बेवफ़ाई का इज़हार यूँ भी करता है परिंदे मार के बाज़ू निकाल लेता है