वो हर्फ़ हर्फ़ मुकम्मल किताब कर देगा वरक़ वरक़ को मोहब्बत का बाब कर देगा उजाले के लिए उस को सदा लगाओ अब ये काम चुटकियों में आफ़्ताब कर देगा वो जब भी देखेगा मस्ती भरी नज़र से मुझे मिरे वजूद को यकसर शराब कर देगा मुझे यक़ीन है एजाज़-ए-लम्स से इक दिन वो ख़ार को भी शगुफ़्ता गुलाब कर देगा हज़ार चुप सही पर उस का बोलता चेहरा ख़मोश रह के हमें ला-जवाब कर देगा वो जैसा चाहेगा वैसा करेगा ऐ 'हसरत' किसी को ठीक किसी को ख़राब कर देगा