वो जो ख़्वाबों के घर का रस्ता है ख़्वाहिश-ए-दर-ब-दर का रस्ता है उस की यादों की रहगुज़र थी जहाँ अब वो शहर-ए-हुनर का रस्ता है उस से मिलने की ख़्वाहिशों के लिए एक तन्हा सफ़र का रस्ता है एक लम्हे को उस की मंज़िल है और फिर उम्र-भर का रस्ता है इश्क़ आसाँ सफ़र है किस के लिए ये मिरी जान सर का रस्ता है जो मिरे हिज्र की मसाफ़त है वो तिरी इक नज़र का रस्ता है इश्क़ की राह मत चलो 'आदिल' ये तो उस के ही दर का रस्ता है