वो क्या ज़िंदगी जिस में जोशिश नहीं वो क्या आरज़ू जिस में काविश नहीं जुनूँ आइना-दार-ए-सोज़-ए-दरूँ जुनूँ पर ख़ुशी की नवाज़िश नहीं मुक़द्दर का मरहून-ए-मिन्नत है ये तिरा मर्तबा वजह-ए-नाज़िश नहीं हक़ीक़त का अक्कास मेरा कलाम तसन्नो नहीं इस में कोशिश नहीं ये इज़हार-ए-सादा है जज़्बात का कमाल-ए-हुनर की नुमाइश नहीं ज़माने से हूँ बे-नियाज़ इस क़दर सताइश की भी दिल में ख़्वाहिश नहीं ये क्या हो गया तेरे मक्तूब में तअ'ल्लुक़ का रंग-ए-निगारिश नहीं उसे मिल सके कामयाबी कहाँ मदद-गार जिस की सिफ़ारिश नहीं वो बे-बाक आज़ाद-गुफ़्तार है कभी 'कृष्ण' मोहन को बंदिश नहीं