वो सुन न पाए तो सदा क्या है आह-ओ-ज़ारी से फ़ाएदा क्या है कोई पूछे तो इश्क़ वालों से दर्द का दिल से वास्ता क्या है हक़-बयानी मिली है विर्से में इतनी हैरत से देखता क्या है सारे अपने हुए हैं बेगाने हम को बेगानों से गिला क्या है झूट की गर्द साफ़ कर डालो सच न बोले तो आइना क्या है तुम अभी याद भी नहीं आए फिर ये सीने में दर्द सा क्या है जान दे उस ने जान माँगी है इश्क़ में इतना सोचता क्या है कितने बरहम दिखाई देते हैं 'शाद' ने आप से कहा क्या है