यूँही जो करते रहेंगे मुशाहिदा दिल का चमक उठेगा किसी रोज़ आइना दिल का हमारी राह में दीवार उठा के दुनिया ने क़दम क़दम पे बढ़ाया है हौसला दिल का मक़ाम ऐसा भी आता है राह-ए-उल्फ़त में क़ुबूल अक़्ल भी करती है मशवरा दिल का भटक न जाए कहीं धड़कनों के जंगल में दिमाग़ ढूँडने निकला है रास्ता दिल का ये हिचकियों का तसलसुल बिला-सबब तो नहीं ज़रूर दिल से तुम्हारे है सिलसिला दिल का बस इतनी बात पे हम ने शिकस्त कर ली क़ुबूल किसी ने दे दिया चुपके से वास्ता दिल का तुम अपने 'शाद' से हरगिज़ न बद-गुमाँ होना कि बद-गुमानी से बढ़ता है फ़ासला दिल का