वो वफ़ूर-ए-लाला-ओ-गुल नहीं वो नशात-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र नहीं जो इरम-ब-कफ़ थी दम-ए-सहर वो बहार-ए-शाख़-ओ-शजर नहीं ये ज़माना फ़ुर्सत-ए-ग़म अगर मुझे दे तो मैं भी दिखा सकूँ कि तजल्लियाँ मिरे शौक़ की फ़क़त एक रक़्स-ए-शरर नहीं तिरी याद बाइ'स-ए-राहत-ए-तपिश-ए-ख़याल तो है मगर मैं हुजूम-ए-शौक़ को क्या करूँ मिरे बस में दीदा-ए-तर नहीं ये रज़ा-ए-यार का पास है कि ये साज़िशें हैं हवास की मिरे दिल में सोज़-ए-फ़ुग़ाँ तो है मिरे लब पे आह-ए-सहर नहीं मिरा शौक़ आबला-पा सही मिरी राह राह-ए-फ़ना सही जो तिरा ख़याल हो राहबर तो अँधेरी रात का डर नहीं तू कमाल-ए-शौक़ से साज़ उठा मिरी जान तारों के गीत गा तिरी बज़्म-गाह-ए-तरब में अब किसी दिल-जले का गुज़र नहीं