वही है मय वही शीशा वही है पैमाना पे मय-कशी के जो आदाब थे वो बदले गए वही है नींद वही रात की गिरानी है हमारी आँखों में जो ख़्वाब थे वो बदले गए सवालों और जवाबों का सिलसिला है वही जो हक़ दिलाते वो सारे जवाब बदले गए रिफाक़तें तो बहुत आम हो गईं ऐ दोस्त दुखों में साथ जो अहबाब थे वो बदले गए वही है बाग़ वही गुल है वही नग़्मा है सुकून-ए-दिल के जो अस्बाब थे वो बदले गए इबादतें हैं वही और वही दुआएँ हैं मगर दुआ में जो अलक़ाब थे वो बदले गए