वस्ल मुश्किल ही सही दीदार होना चाहिए काँच का इक रौज़न-ए-दीवार होना चाहिए हो चुकी हद फ़ैसला इक बार होना चाहिए ये तमाशा अब सर-ए-बाज़ार होना चाहिए ज़र्फ़ होना चाहिए मेआ'र होना चाहिए आदमी को साहिब-ए-किरदार होना चाहिए लुत्फ़ मंज़िल पे पहुँचने का यक़ीनन आएगा शर्त ये है रास्ता दुश्वार होना चाहिए डूबती हो नब्ज़ लेकिन होश की बातें करे आदमी को इस तरह बीमार होना चाहिए बेच कर ईमान दुनिया की ख़रीदारी हुई शहर-भर में आप का सत्कार होना चाहिए है बहुत आसान तक़्सीम-ए-विरासत दोस्तो भाइयों में जज़्बा-ए-ईसार होना चाहिए कुछ इशारा भी किनाया भी हो कुछ तमसील भी कुछ ग़ज़ल के शेर को तहदार होना चाहिए नाक़िदान-ए-फ़न का इस्तिक़बाल है 'साजिद' मगर नाक़िदों को ग़ैर-जानिब-दार होना चाहिए