यूँ चमन की तीरगी में रौशनी देखी गई आग अपने आशियाँ को ही लगी देखी गई हम वफ़ा की राह में चलते रहे जलते रहे जब कहीं जा कर अँधेरों में कमी देखी गई रो दिए हम भी कभी तो सैंकड़ों तूफ़ाँ उठे यूँ हमारे आँसूओं में दिलकशी देखी गई वो क़फ़स की क़ैद में भी क्या सितम की शाम थी ज़िंदगी-भर की ख़ुशी जब अजनबी देखी गई इश्क़ में बर्बाद राहों का सफ़र क्या था 'अदीम' ज़िंदगी बे-मौत लाशों में दबी देखी गई