वो जो मुझ से ख़फ़ा हो गया एक महशर बपा हो गया था मिरा ग़ैर का हो गया बा-वफ़ा बेवफ़ा हो गया कल तो वहशी न था इस क़दर आज इंसाँ को क्या हो गया ख़ुद पे यूँ नाज़ करने लगा हुस्न जैसे ख़ुदा हो गया हद से जब बढ़ गया दर्द-ए-दिल आप ही ख़ुद दवा हो गया किस से 'रामिश' करोगे गिला था जो होना हुआ हो गया