वो कह रहे हैं कि ये ज़्यादती है थोड़ी सी अभी तो मश्क़-ए-सितम हम ने की है थोड़ी सी मिरी रविश में अभी कजरवी है थोड़ी सी सुना है ऐसी हवा भी उड़ी है थोड़ी सी कहीं ये तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ की इब्तिदा तो नहीं अब उस की याद से वाबस्तगी है थोड़ी सी क़रीब जो थे मिरे वो क़रीब-तर न हुए मिरे ख़ुलूस में शायद कमी है थोड़ी सी ज़रा तू इतनी ही पी कर तो देख ऐ वाइज़ जो मेरे जाम की तह में बची है थोड़ी सी ख़ुदा मिलेगा न उस वक़्त तक तुम्हें 'साबिर' जुनून-ए-शौक़ में जब तक ख़ुदी है थोड़ी सी