वो ख़ाली हाथ सफ़र-ए-आब पर रवाना हुआ By Ghazal << था अजब सेमिनार का मौसम तब... ज़मीं का बोझ और उस पर ये ... >> वो ख़ाली हाथ सफ़र-ए-आब पर रवाना हुआ ख़बर न थी कि समुंदर तही-ख़ज़ाना हुआ बिछड़ते वक़्त था दिल में ग़ुबार उस से मगर सुख़न ही तल्ख़ न लहजा शिकायताना हुआ हवा भी तेज़ न थी मो'तदिल था मौसम भी ज़मीन पाँव के नीचे थी इक ज़माना हुआ Share on: