वो न आया कभी इधर अफ़्सोस ग़ैर का हो गया मगर अफ़्सोस उन को होती नहीं ख़बर अफ़्सोस आह करती नहीं असर अफ़्सोस जब से वो मय नहीं है पहलू में ग़म-कदा हो गया है घर अफ़्सोस अपने कोठे पे वो नहीं आए आज निकला नहीं क़मर अफ़्सोस यूँही रोता 'हक़ीर' वो जाते मुझ पे आता उन्हें अगर अफ़्सोस