वो न और मैं ही जवाँ था पहले किस क़दर अम्न-ओ-अमाँ था पहले वक़्त गर सैल-ए-रवाँ था पहले मैं भी इक संग-ए-गिराँ था पहले जोड़ने पर भी नज़र आता है बाल शीशे में जहाँ था पहले क़ुर्बत-ए-यार का ग़म है न ख़ुशी दिल का ये हाल कहाँ था पहले अश्क-ए-लर्ज़ां की कही कौन सुने हासिल-ए-शरह-ए-बयाँ था पहले लोग अब इस को ख़लल कहते हैं इश्क़ इक राज़-ए-निहाँ था पहले बाज़ी-ए-हाल बिसात-ए-माज़ी बोलिए कौन कहाँ था पहले मै-कदा पहुँचे जो उस से छुप कर नासेह मौजूद वहाँ था पहले था वो इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत 'शाहिद' लब पे जो रक़्स-कुनाँ था पहले