वो शो'लगी वो सोज़-ए-दरूँ कौन ले गया मुझ से मिरी मताअ-ए-जुनूँ कौन ले गया होंटों पे बाद-ए-मर्ग तबस्सुम को देखिए अहल-ए-जुनूँ का हाल-ए-ज़बूँ कौन ले गया किस ने चमन उजाड़ दिया तेरे हुस्न का ऐ दोस्त तेरा सारा फ़ुसूँ कौन ले गया तारी जहाँ पे ज़ुल्मत-ए-जहल-ओ-फ़साद है इल्म-ओ-अमल से जज़्ब-ए-दरूँ कौन ले गया 'ग़ालिब' भी नहीं 'मीर' नहीं 'दाग़' भी नहीं अशआ'र-ए-नौ से सेहर-ओ-फ़ुसूँ कौन ले गया 'साक़ी' वही है मय भी वही मै-कदा वही फिर दिल से तेरे जोश-ए-जुनूँ कौन ले गया