यहाँ बस देखते हैं कौन कितना शोर करता है सुनी जाती है उस की जो ज़ियादा शोर करता है मुझे लगता है मैं फिर हिज्र के सहरा से गुज़रूँगा मिरी आँखों में फिर से एक दरिया शोर करता है कभी मुझ को मिरी अपनी सदा तक भी नहीं आती कभी ये दिल मिरे सीने में इतना शोर करता है तुम्हारी बे-लिहाज़ी से यूँही दिल में ख़याल आया अगर कासे में सिक्के हों तो कासा शोर करता है निगलने आते हैं जो अज़दहे दिखते नहीं हम को मगर इक शाख़ पर बैठा परिंदा शोर करता है चुरा लूँ ख़्वाब में आए हुए उस शख़्स को मैं तो मगर मेरे मुक़द्दर का सितारा शोर करता है उन्हीं के क़दमों की आहट फ़लक से आती है सब को वो जिन के ख़ून में पुख़्ता इरादा शोर करता है रगें सारे बदन की टूटती महसूस होती हैं कुछ इतने ज़ोर से उस का सरापा शोर करता है अजब निस्बत की देखी हैं करिश्मा-साज़ियाँ 'इरफ़ान' उतर कर तन से भी इस का लबादा शोर करता है