यही होना था और हुआ जानाँ हो गए हम जुदा जुदा जानाँ कोई आसाँ न थी तिरी फ़ुर्क़त मैं हक़ीक़त में रो पड़ा जानाँ तिरे अंदर हूँ मैं ही मैं हर सू मिरे अंदर तू जा-ब-जा जानाँ हँस के मिलता है हर कोई ऐसे जैसे हर शख़्स हो ख़फ़ा जानाँ अब मैं चलता हूँ चल ख़ुदा-हाफ़िज़ शहर ये वो नहीं रहा जानाँ