यही था वक़्फ़ तिरी महफ़िल-ए-तरब के लिए चराग़-ए-दिल कि सुलगता है आज सब के लिए कभी मैं जुरअत-ए-इज़हार-ए-मुद्दआ तो करूँ कोई जवाज़ तो हो लुतफ़-ए-बेसबब के लिए उफ़ुक़ से चाँद की चम्पा-कली उभरती है सजाए जाते हैं ज़ेवर निगार-ए-शब के लिए तिरे गदा ने भी साग़र का नुक़रई आँचल कहीं से माँग लिया दुख़तर-ए-एनब के लिए तमाम उम्र ब-फ़ैज़-ए-निगाह-ए-लाला-रुख़ाँ सनद रहा हूँ इशारात-ए-चश्म-ओ-लब के लिए चमन से फूल के धोके में चुन लिए शोले कफ़-ए-वफ़ा के लिए दामन-ए-तलब के लिए कहीं जो पुर्सिश-ए-अहवाल पर वो माइल हों कि हम ने दिल को सँभाला हुआ है जब के लिए मुझे ख़बर है बहुत से मता-ए-ज़ौक़-ए-नज़र दुकान-ए-काकुल-ओ-रुख़्सार-ओ-चश्म-ओ-लब के लिए सितारा सुब्ह का रौशन था शाम से 'आबिद' यही थी मौत हरीफ़ान-ए-बज़्म-ए-शब के लिए