यारब सराब-ए-अहल-ए-हवस से नजात दे मुझ को शराब दे उन्हें आब-ए-हयात दे आ हम भी रक़्स-ए-शौक़ करें रक़्स-ए-मुल के साथ ऐ गर्दिश-ए-ज़माँ मेरे हाथों में हात दे अपना सुबू भी आइना-ए-जम से कम नहीं रखें जो रू-ब-रू ख़बर-ए-शश-जिहात दे ऐ दस्त-ए-राज़ मरकब-ए-दौराँ है सुस्त-रौ ला मेरे हाथ में रसन-ए-काएनात दे कुछ तो खुले कि क्या है पस-ए-पर्दा-ए-हयात कोई पता तो आइना-ए-हुस्न-ए-ज़ात दे ऐ दोस्त इस ज़मान-ओ-मकाँ के अज़ाब में दुश्मन है जो किसी को दुआ-ए-हयात दे उठ रहगुज़र से ऐ दर-ए-मय-ख़ाना के गदा मसनद पे बैठ फ़ैसला-ए-काएनात दे इस मौजा-ए-सुरूर की है आरज़ू 'ज़फ़र' जो तब्अ' को रवानी-ए-नील-ओ-फुरात दे