यास-ओ-हिरास-ओ-जौर-ओ-जफ़ा से अलग-थलग इक साएबाँ है क़हर-ए-ख़ुदा से अलग-थलग देखो उठा है वो भी अलामत के तौर पर दस्त-ए-दराज़ दस्त-ए-दुआ से अलग-थलग परवाना-ए-हवा-ओ-हवस हाँ बराए-शौक़ कोई मक़ाम शम-ए-वफ़ा से अलग-थलग कब तक रहेगा वहशी-ए-एहसास-ओ-आगही ना-साज़गार आब-ओ-हवा से अलग-थलग मिल जाएगा हिसार-ए-अज़ीमत के आस पास कर्ब-ए-सुकूत आह-ओ-बुका से अलग-थलग सद-हादसात-ए-ख़ाम हैं इबरत-निगाह में तारीख़-साज़ जुर्म-ओ-सज़ा से अलग-थलग इस ख़ौफ़ से न सेहर-बयानी पे हर्फ़ आए 'राही' रहे हैं चून-ओ-चरा से अलग-थलग