ये और बात कि आँसू बहा नहीं सकते बिछड़ के तुझ से मगर मुस्कुरा नहीं सकते अमीर बाप के बेटों को शर्म आती है किसी की राह का पत्थर हटा नहीं सकते हम आफ़्ताब की बस्ती के रहने वाले हैं हमें हवाओं के झोंके बुझा नहीं सकते यही इलाक़ा तो शहबाज़ का इलाक़ा है यहाँ छतों पे कबूतर उड़ा नहीं सकते वो बे-गुनाहों का क़ातिल है क़त्ल ही होगा फ़रिश्ते उस की हिफ़ाज़त को आ नहीं सकते मुशाहिदों का असासा अगर सलामत है पुराने लोग नए ज़ख़्म खा नहीं सकते हमें तो इस लिए सहना है मुफ़्लिसी का अज़ाब ज़मीर बेच के दौलत कमा नहीं सकते हमारी राह में चट्टान हो कि दरिया हो बढ़ा दिए हैं क़दम तो हटा नहीं सकते हमारे साथ दुआओं के क़ाफ़िले हैं 'रियाज़' हमारी राह में तूफ़ान आ नहीं सकते