ये एहसास बेहद ख़जिल कर रहा है करम मुझ पर इक संग-दिल कर रहा है भरोसा है बेहद तभी यार मेरा मुझे अपने ग़म मुंतक़िल कर रहा है किसी और में है कहाँ इतनी जुरअत मैं वो कर रहा हूँ जो दिल कर रहा है बड़े सर्द-ओ-गर्म आए हालात लेकिन मिरा चेहरा हर रुत में खिल कर रहा है तुझे ऐ मिरी ज़िंदगी है ख़बर क्या तआ'क़ुब कोई मुस्तक़िल कर रहा है कोई राय उस पर करूँ कैसे क़ाएम हमेशा जो होंटों को सिल कर रहा है मुझे भेज कर तोहफ़ा-ए-गुल वो 'अम्बर' अजब ढंग से मुश्तइ'ल कर रहा है