ये हाल माह-ओ-साल है फ़िराक़ से विसाल तक हयात को ज़वाल है फ़िराक़ से विसाल तक उलझ रहे हैं मुस्तक़िल तलाश-ए-सादगी में हम ये ज़िंदगी तो जाल है फ़िराक़ से विसाल तक वो किस तरह करूँ बयाँ जो हो ख़ुशी की दास्ताँ मलाल ही मलाल है फ़िराक़ से विसाल तक गुमाँ को किस तरह लिखूँ हक़ीक़तों का तर्जुमाँ ख़याल ही ख़याल है फ़िराक़ से विसाल तक सुकूँ की नींद है कहाँ थमेगा कब ये कारवाँ उबाल ही उबाल है फ़िराक़ से विसाल तक यक़ीं में कुछ गुमान है गुमाँ में कुछ यक़ीन है यही दिलों का हाल है फ़िराक़ से विसाल तक 'अदील' दर-ब-दर हैं हम जवाब की तलाश में सवाल ही सवाल है फ़िराक़ से विसाल तक