ये हंगामे तमाशे कम न होंगे मगर महफ़िल में तेरी हम न होंगे बढ़ाओ ख़ौफ़ से कश्ती न रोको मसीहाओ ये तूफ़ाँ कम न होंगे शब-ए-हिज्राँ सितारे गिन रहे हो सितारे ज़ख़्म का मरहम न होंगे ज़बानों पर लगा दो क़ुफ़्ल लेकिन कभी उल्फ़त के चर्चे कम न होंगे चलेंगे तब सभी बे-ख़ौफ़ हो कर किसी के हाथ में जब बम न होंगे यहाँ जम्हूरियत कुचली गई है फ़सादात-ओ-तअ'स्सुब कम न होंगे ग़ज़ल-गोई चलेगी यूँ ही 'ज़ाकिर' हमारे जैसे होंगे हम न होंगे