ये ज़िंदगी सज़ा के सिवा और कुछ नहीं हर साँस बद-दुआ के सिवा और कुछ नहीं बिखरी हैं रास्तों पे सफ़र की कहानियाँ दुनिया नुक़ूश-ए-पा के सिवा और कुछ नहीं बच्चों की लाश चाक-रिदा और बुरीदा-सर हर शहर कर्बला के सिवा और कुछ नहीं ज़म्बील ज़िंदगी में बड़ों का दिया हुआ कुछ सिक्का-ए-दुआ के सिवा और कुछ नहीं ये तजरबा मिरा है कि इक लम्हा-ए-नशात मिट्टी भरी ग़िज़ा के सिवा और कुछ नहीं अक्स और आईना में अगर राब्ता न हो ये भी ग़लत अना के सिवा और कुछ नहीं हर शय को उस के अस्ल की तमसील जानिए कौनैन में ख़ुदा के सिवा और कुछ नहीं ऐ 'रम्ज़' कोई दे दे मुझे ज़हर-ए-बे-हिसी ये आगही सज़ा के सिवा और कुछ नहीं