ये जिस ने जान दी है नान देगा दिया है जिस ने सर सामान देगा मिज़ा से उस कमाँ-अबरू की बचना वो नावक है कलेजा छान देगा मशक़्क़त से वो दे या बे-मशक़्क़त ब-हर-सूरत ब-हर-उनवान देगा वो बोसा दे के दिल ले कर ये बोले एवज़ एहसाँ का क्या इंसान देगा मिलेगा कद्र-दान-ए-इश्क़ हम को ख़ुदा माशूक़ बा-ईमान देगा सुनेंगे तब बुतान-ए-हिन्द अपनी इजाज़त जब उन्हें शैतान देगा फ़साना कोहकन का सुन के बोले जो आशिक़ होगा वो ही जान देगा न थी उम्मीद तुझ से क़ासिम बख़्त दिल-ए-पुर-दर्द ओ पुर-अरमान देगा रह-ए-उल्फ़त का हूँ कार-आज़मूदा किसी को दिल कोई अंजान देगा चलेगा तीर जब अपनी दुआ का कलेजे दुश्मनों के छान देगा मुक़द्दर से ज़्यादा एक लुक़्मा गदा क्या लेगा क्या सुल्तान देगा लिपट जाऊँगा उन से रोज़-ए-वसलत अगर मुझ को ख़ुदा औसान देगा न फैला 'मुंतही' दस्त-ए-हवस को वगर्ना ये तुझे नुक़सान देगा