ये जो तूफ़ान मिरे शहर में आया हुआ है ये भी उन शोख़ निगाहों का उठाया हुआ है जाने जिस ख़्वाब की ता'बीर लिए फिरता हूँ एक दरिया है जो आँखों में समाया हुआ है जो ये कहता है बदन छोड़ के बाहर आ जाऊँ उस से कह दो अभी घर में कोई आया हुआ है हाल-ए-दिल कैसे सुनाऊँ की तिरी आँखों ने एक पहरा मिरे होंटों पे बिठाया हुआ है सर में उस के भी कहाँ इश्क़ का सौदा कोई ढोंग हम ने भी मोहब्बत का रचाया हुआ है वो जहाँ हुस्न की क़ीमत से मता-ए-दिल-ओ-जाँ ये भी सौदा उसी बाज़ार से लाया हुआ है एक इक ईंट बताएगी 'ज़िया' देखो तो जिस में रहते हो वो घर किस का बनाया हुआ है