ये क्या बताएँ कि किस रहगुज़र की गर्द हुए हम ऐसे लोग ख़ुद अपने सफ़र की गर्द हुए नजात यूँ भी बिखरने के कर्ब से न मिली हुए जो आइना सब की नज़र की गर्द हुए ये किन दुखों ने चम-ओ-ख़म तमाम छीन लिया शुआ-ए-महर से हम भी शरर की गर्द हुए सब अपने अपने उफ़ुक़ पर चमक के थोड़ी देर मुझे तो दामन-ए-शाम-ओ-सहर की गर्द हुए पुकारो कह के हमें छाँव जी न बहलेगा बचे जो धूप से पा-ए-शजर की गर्द हुए हमें भी बोलना आता है फिर भी हैं ख़ामोश कि हम तिरे सुख़न-ए-मुख़्तसर की गर्द हुए धुला सा चेहरा भी कुछ माँद पड़ गया आख़िर हुए न अश्क तिरी चश्म-ए-तर की गर्द हुए शरीर-ओ-तुंद हवा थी कि रौ मआ'नी की तमाम लफ़्ज़ लब-ए-मो'तबर की गर्द हुए ये राह कितनी पुर-आशोब है 'फ़ज़ा' न कहो क़लम की राह चले हम हुनर की गर्द हुए