ये लड़का लड़की कोई मसअला समझ रहे हैं उन्हें ख़बर ही नहीं लोग क्या समझ रहे हैं हमारे मिल के बिछड़ने में उस का हाथ भी था मगर ये लोग मुझे ही बुरा समझ रहे हैं मैं उन को पानी पिलाने के वास्ते खड़ा हूँ जो मुझ को प्यास का मारा हुआ समझ रहे हैं मैं ख़ामुशी को इबादत के जैसे जानता हूँ समझने वाले मुझे क्या से क्या समझ रहे हैं गिरे हुओं की अजब नफ़सियात है 'बाबर' सब एक दूसरे को आसरा समझ रहे हैं