ये मैं भी क्या हूँ उसे भूल कर उसी का रहा कि जिस के साथ न था हम-सफ़र उसी का रहा वो बुत कि दुश्मन-ए-दीं था ब-क़ौल नासेह के सवाल-ए-सज्दा जब आया तो दर उसी का रहा हज़ार चारागरों ने हज़ार बातें कीं कहा जो दिल ने सुख़न मो'तबर उसी का रहा बहुत सी ख़्वाहिशें सौ बारिशों में भीगी हैं मैं किस तरह से कहूँ उम्र भर उसी का रहा कि अपने हर्फ़ की तौक़ीर जानता था 'फ़राज़' इसी लिए कफ़-ए-क़ातिल पे सर उसी का रहा