ये मत समझो कि मुझ को ग़म नहीं है मगर शिकवों का ये मौसम नहीं है हुकूमत में बड़ी ताक़त है लेकिन मोहब्बत भी किसी से कम नहीं है अगर है हुस्न तेरा मिस्ल-ए-शोला तो मेरा इश्क़ भी शबनम नहीं है मैं अपने ज़ख़्म-ए-दिल किस को दिखाऊँ किसी के पास भी मरहम नहीं है मरे हैं उन की चौखट पर ही 'जौहर' हमें मरने का कोई ग़म नहीं है