यूँ तो हमारे बीच कोई फ़ासला नहीं फिर भी हमारे बीच कोई वास्ता नहीं नाकामी-ए-सफ़र का सबब कुछ न पूछिए मंज़िल तो सामने है मगर रास्ता नहीं रहता हूँ मस्त-ए-ख़्वाब सितारों की छाँव में इस शहर में मुझे कोई पहचानता नहीं अल्फ़ाज़ को बरतने का मालूम है हुनर फिर भी मैं उन के सामने कुछ बोलता नहीं 'जौहर' वो मुझ को छोड़ के तन्हा चला गया फिर भी मुझे यक़ीन है वो बेवफ़ा नहीं