ये मोहब्बत है मोहब्बत सरगिरानी हो तो क्या शिद्दत-ए-ग़म से जिगर का ख़ून पानी हो तो क्या रूह बन कर मेरी रग रग में सरायत कर गया ऐसे दर्द-ए-दिल की कोई तर्जुमानी हो तो क्या सर्द हो सकता नहीं सरगर्म इंसाँ का लहू हादिसात-ए-नौ-ब-नौ में ज़िंदगानी हो तो क्या अपना जीना एक धोका अपना मरना इक फ़रेब ज़िंदगी से ज़िंदगी की तर्जुमानी हो तो क्या हर तरह ख़ुश ख़ुश रही है मुझ से मेरी ज़िंदगी मेहरबानी हो तो क्या ना-मेहरबानी हो तो क्या ग़म नतीजा है ख़ुशी की इंतिहा का ऐ 'कलीम' दिल की इक इक मौज मौज-ए-शादमानी हो तो क्या