ये रास्ते ये नज़ारे बहार का आलम तिरे बग़ैर दिल-ए-बे-क़रार का आलम धड़क उठे है तिरा ज़िक्र भी अगर आए ये मिरे दिल पे तिरे इख़्तियार का आलम तुझे ख़याल भी आए न दूर जाने का जो देख ले तू मिरे इंतिज़ार का आलम हसद न हो जो रक़ीबों के साथ भी देखूँ तिरी वफ़ा पे मिरे ए'तिबार का आलम कभी तो आए रुलाने मुझे कोई 'आलोक' कभी तो हो मिरे दिल में क़रार का आलम