ये सहरा बस अभी गुलज़ार हो जाने ही वाला है कोई तूफ़ाँ नहीं तो क़ाफ़िला आने ही वाला है ज़रा ठहरो उसे आने दो उस की बात भी सुन लें हमें जो इल्म है गो दिल को दहलाने ही वाला है समुंदर में जज़ीरे हैं जज़ीरों पर है आबादी अभी इक शोर बस कानों से टकराने ही वाला है हवा-ए-फ़स्ल-ए-गुल में शोरिश-ए-बाद-ए-ख़िज़ाँ भी है कली खिलती है यानी फूल मुरझाने ही वाला है कहाँ जाओगे किस ख़ाक-ए-तमन्ना की हवस में हो तुम्हारी राह का हर मोड़ वीराने ही वाला है वही ग़र्क़ाब होंगे हम वही कश्ती न डूबेगी अगरचे नाख़ुदा इस सच को झुटलाने ही वाला है