ये शौक़ सारे यक़ीन-ओ-गुमाँ से पहले था मैं सज्दा-रेज़ नवा-ए-अज़ाँ से पहले था हैं काएनात की सब वुसअ'तें उसी की गवाह जो हर ज़मीन से हर आसमाँ से पहले था सितम है उस से कहूँ जिस्म-ओ-जाँ पे क्या गुज़री कि जिस को इल्म मिरे जिस्म-ओ-जाँ से पहले था उसी ने दी है वही एक दिन बुझाएगा प्यास जो सोज़-ए-सीना-ए-ओ-अश्क-ए-रवाँ से पहले था उसी से थी और उसी से रहेगी अपनी तलब जो आरज़ू की हर इक ईन-ओ-आँ से पहले था वो सुन रहा है मिरी बे-ज़बानियों की ज़बाँ जो हर्फ़-ओ-सौत-ओ-सदा-ओ-ज़बाँ से पहले था ये हम्द हुस्न-ए-बयाँ है मिरा कि इज्ज़-ए-सुख़न हर एक वस्फ़ जब उस का बयाँ से पहले था