ये ज़माना किसी को क्या देगा हँसना चाहोगे तो रुला देगा जान-ओ-दिल जिस पे तू लुटा देगा इक न इक दिन वही दग़ा देगा आइना देख ले ज़रा पहले वो हक़ीक़त तिरी बता देगा भाई से दुश्मनी नहीं अच्छी घर का दीपक ही घर जला देगा तेग़-ओ-ख़ंजर की क्या ज़रूरत है एक जुमला ही दिल दुखा देगा उस के आने की है ख़ुशी लेकिन जाते जाते वो फिर रुला देगा आबरू रख ले मेरे कासे की देने वाले तुझे ख़ुदा देगा ऐ 'समर' क़र्ज़ माँ की ममता का किस की हस्ती है जो चुका देगा