यूँ तो सब दुनिया में दुनिया हर-इक महफ़िल में है मैं हूँ जिस दुनिया में वो दुनिया तुम्हारे दिल में है इस हक़ीक़त से भी ऐ अर्बाब-ए-साहिल होशियार एक ना-मालूम तूफ़ान पर्दा-ए-साहिल में है बे-ख़बर हैं क़ाफ़िले वाले अभी इस राज़ से मंज़िल-ए-मक़्सूद राहों में नहीं है दिल में है मैं ने ही कुछ सोच कर उस को बता दी राह-ए-दोस्त वर्ना इस मंज़िल में कब था इश्क़ जिस मंज़िल में है तुम मिरी जानिब अगर देखो तो मैं कुछ भी नहीं मैं अगर दिल की तरफ़ देखूँ तो सब कुछ दिल में है अब तो 'अंजुम' सारी दुनिया गोश-बर-आवाज़ है कह भी दो मर्द-ए-ख़ुदा जो कुछ तुम्हारे दिल में है