यूँ न बर्बाद हो ख़ुदा कोई हाल-ए-दिल सुन के रो दिया कोई आँख से क्यों टपक पड़ा आँसू दिल का टूटा है आबला कोई दर्द-ए-दिल है बहुत ही जान-गुसिल दर्द-ए-दिल की नहीं दवा कोई कोई तदबीर बन नहीं पाती काम करती नहीं दुआ कोई उस की ख़फ़गी की जब ख़बर आई जान से हो गया ख़फ़ा कोई रस्म दुनिया की ये पुरानी है बेवफ़ा है तो बा-वफ़ा कोई इश्क़ के मरहले कठिन हैं बहुत हो सका तय न मरहला कोई राह-ए-उल्फ़त बहुत है पेचीदा इब्तिदा है न इंतिहा कोई मैं मोहब्बत में जान दे दूँगा मुझ पे करता रहे जफ़ा कोई ख़ंजर-ए-चश्म पे है नाज़ उसे ख़ून-ए-दिल में नहा गया कोई ऐरों ग़ैरों पे है निगाह-ए-करम है न 'अरशद' से वास्ता कोई