यूँ तो हर दिल में घाव है बाबा वर्ना सब रख-रखाव है बाबा अब कहाँ है वफ़ा की ठंडी हवा सारी बस्ती अलाव है बाबा काँपते होंट मुर्तइश फ़िक़रे किस को किस से लगाओ है बाबा मौत बहती हुई नदी की तरह ज़ीस्त काग़ज़ की नाव है बाबा मुझ को तस्वीर-ए-ज़िंदगी न दिखा मुझ में गौतम का भाव है बाबा