ज़ख़्म पर ज़ख़्म ले के सीने में लुत्फ़ है मुस्कुरा के जीने में जी के पीने में पी के जीने में फ़र्क़ होता है पीने पीने में देखो देखो न आबगीनों में तुम नहा जाओगे पसीनों में पास होते हुए भी दूर रहे कुछ क़रीना है ये क़रीनों में थोड़ा थोड़ा गुनाह हो शायद थोड़ी थोड़ी शराब पीने में अज़्म-ए-साहिल है उस्तुवार अगर आग लग जाने दो सफ़ीने में है कोई दिल का क़द्र-दाँ 'फ़य्याज़' इक ख़ज़ाना लिए हूँ सीने में