ज़िक्र-ओ-विर्द-ओ-दुआ से बेहतर है मय-कशी हर रिया से बेहतर है कोई बतलाओ इन हसीनों में कौन उस बे-वफ़ा से बेहतर है दिल ही वाला कुछ उस को जाने है क़हर तेरा अता से बेहतर है सोज़-ए-ग़म में बताइए दिल को नुस्ख़ा ये कीमिया से बेहतर है कब किसी इश्क़ के फ़साने की इंतिहा इब्तिदा से बेहतर है ऐ मिरे चारा-साज़ रहने दे ये मरज़ तो शिफ़ा से बेहतर है आप इतना तो जानते होंगे लुत्फ़ जौर-ओ-जफ़ा से बेहतर है फिर वही लाल-ए-नोश-ए-लब ऐ दोस्त हाल कुछ इस दवा से बेहतर है दुश्मनी बद सही मगर ये शय बे-रुख़ी की सज़ा से बेहतर है हम को तो ये अज़ाब-ए-दीदा-वरी दोस्तो हर जज़ा से बेहतर है देख वो एक सादा पैराहन कितने रंगीं-क़बा से बेहतर है साफ़ इंकार ऐ वफ़ा-दुश्मन इस फ़रेब-ए-अदा से बेहतर है रहज़नों से ये बच के चलता है राह-रौ रहनुमा से बेहतर है लाओ 'जाबिर' वो शय जो दुनिया में इस दिल-ए-मुब्तला से बेहतर है